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दो टूक

जल-विद्युत का तर्कसंगत दोहन

संजय ठाकुर देश के विकास में जल-विद्युत परियोजनाओं का योगदान तो स्वयं-सिद्ध है, लेकिन जल-विद्युत के दोहन का तर्कसंगत होना भी ज़रूरी है। जल-विद्युत के तर्कसंगत दोहन के बग़ैर ये परियोजनाएं विकास से कहीं ज़्यादा विनाश लाती हैं। फिर इनकी दास्तान…

महिलाओं की बढ़ती असुरक्षा

संजय ठाकुर भारत के नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा देश में महिलाओं की स्थिति पर पिछले दिनों जारी रिपोर्ट देश में महिलाओं की बढ़ती असुरक्षा की एक चिन्ताजनक तस्वीर पेश करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार देश में हर घण्टे चार महिलाएं बलात्कार का…

उचित जल-प्रबन्धन की ज़रूरत

संजय ठाकुर भारत के नियन्त्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी योजनाएं प्रति दिन प्रति व्यक्ति चार बाल्टी स्वच्छ जल उपलब्ध करवाने के निर्धारित लक्ष्य का आधा भी जल उपलब्ध करवाने में सफल नहीं हो पाई हैं। ऐसी स्थिति भी तब है कि…

अन्न की अच्छी पैदावार और भुखमरी

संजय ठाकुर यह एक विडम्बना ही है कि भारत में अन्न की अच्छी पैदावार के बावजूद कुप्रबन्धन के चलते बीस करोड़ से ज़्यादा लोग भुखमरी की चपेट में हैं। यह स्थिति भी तब है कि जब देश के प्रत्येक नागरिक को भोजन का अधिकार प्रदान करने के लिए देश में…

संकट में कामगार

संजय ठाकुर अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों में भारत में अनौपचारिक क्षेत्र के लगभग चालीस करोड़ कामगार ग़रीबी में और गहरे धंस जाएंगे। हालांकि देश में इस समस्या के समाधान की क्षमता है जैसा कि वर्ष 1998…

वायु-प्रदूषण और वैश्विक समन्वय

संजय ठाकुर विश्व भर में वायु-प्रदूषण की जो स्थिति है उससे निपटने के लिए वैश्विक समन्वय की ज़रूरत है। वैश्विक समन्वय स्थापित करने में संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। वायु-प्रदूषण कम करने और साँस लेने के लिए स्वच्छ वायु की…

बेघर लोगों के लिए आश्रय

संजय ठाकुर एक अदद छत से महरूम दुनिया के दस करोड़ से ज़्यादा बेघर लोगों के लिए आश्रय जुटाना मौजूदा वक़्त की एक बड़ी चुनौती है। संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि दुनिया में बेघर लोगों की तादाद रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच रही है। इस पर यह बात और भी…

बढ़ते वैश्विक ऋण के निहितार्थ

संजय ठाकुर विश्व भर में उभरी वर्तमान परिस्थितियों के चलते वर्ष 2020 के अन्त तक वैश्विक अर्थव्यवस्था एक प्रतिशत तक सिकुड़ सकती है। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग ने आर्थिक संकट के और भी गहराने की सम्भावना जताई है। ऐसे में…

शिक्षा और अर्थव्यवस्था का संकट

संजय ठाकुर वर्तमान परिस्थितियों के चलते विद्यालयों के बन्द रहने से विश्व भर में सभी देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद के एक बड़े भाग से हाथ धोना पड़ेगा। इस संकट में शिक्षा के प्रभावित होने से ही अरबों रुपये की वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बड़ी चोट…

गिरती अर्थव्यवस्था और ग़रीबी की चुनौती

संजय ठाकुर भारत की गिरती अर्थव्यवस्था ने देश के सैन्तीस करोड़ से ज़्यादा ग़रीब लोगों को ग़रीबी से बाहर निकालने की चुनौती को बढ़ा दिया है। चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर 4.5 प्रतिशत तक गिर गई है जो चालू वित्तीय…