छात्र अभिभावक मंच ने की परीक्षाओं के मामले में सरकार के हस्तक्षेप की माँग

मंच ने कहा कि तारा हॉल स्कूल का 20 नवम्बर से आरम्भ होने वाली वार्षिक परीक्षाओं को स्थगित करके अगले वर्ष आठ फ़रवरी को करवाने का फ़ैसला है पूरी तरह छात्र व अभिभावक विरोधी

छात्र अभिभावक मंच ने शिमला के तारा हॉल स्कूल द्वारा 20 नवम्बर से आरम्भ होने वाली वार्षिक परीक्षाओं को स्थगित करने के मामले में सरकार के हस्तक्षेप की माँग की है। मंच के संयोजक विजेन्द्र मेहरा, सदस्य फ़ालमा चौहान, विवेक कश्यप, सत्यवान पुण्डीर व जियानन्द शर्मा ने वार्षिक परीक्षाओं को स्थगित करने के कदम को तानाशाही व लूट-तन्त्र करार दिया है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल सभी तरह के शुल्क सहित पूरी फ़ीस-वसूली के लिए तरह-तरह के हथकण्डे अपना रहे हैं। मंच के अनुसार यह केवल मनमानी लूट को सुनिश्चित करने का तरीका है।
मंच ने तारा हॉल स्कूल के इस निर्णय को बेहद हास्यास्पद व बचकाना कहा है। मंच का कहना है कि जहाँ एक तरफ़ उच्च शिक्षण संस्थानों ने अपने छात्रों को बिना परीक्षाओं के ही प्रोमोट कर दिया वहीं दूसरी तरफ़ निजी स्कूल अपनी मनमानी के लिए छोटे बच्चों की ज़िन्दगी से खेलने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। मंच ने कहा कि तारा हॉल स्कूल का 20 नवम्बर से आरम्भ होने वाली वार्षिक परीक्षाओं को स्थगित करके अगले वर्ष आठ फ़रवरी को करवाने का फ़ैसला पूरी तरह छात्र व अभिभावक विरोधी है। मंच के अनुसार यह केवल अपनी आर्थिक लूट को जारी रखने का पैन्तरा है।
मंच ने कहा कि परीक्षाओं को तीन महीने के लिए टालने से जहाँ एक तरफ़ छात्रों पर अतिरिक्त मानसिक तनाव होगा वहीं दूसरी तरफ़ ऑनलाइन कक्षाओं के नाम पर अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी पड़ेगा। मंच का कहना है कि इससे अध्यापकों की परेशानी भी बढ़ेगी। मंच ने कहा कि इस तरह निजी स्कूल प्रबन्धन पूरी फ़ीस-वसूली, अपनी आर्थिक लूट और मनमानी के लिए छात्रों, अभिभावकों, अध्यापकों एवं कर्मचारियों; सभी को परेशान कर रहा है। मंच ने यह हैरानी भी व्यक्त की कि कुछ प्रभावशाली निजी स्कूल प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग के आदेशों एवं नियमों को सरेआम ठेंगा दिखा रहे हैं, परन्तु प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग पूरी तरह से असहाय नज़र आते हैं।
मंच ने सरकार व शिक्षा विभाग से माँग की है कि बिल्कुल अन्तिम समय में वार्षिक परीक्षाओं को स्थगित करने के निर्णय को वापस करवाने के लिए तारा हॉल स्कूल प्रबन्धन को सख़्त आदेश जारी किए जाएं और परीक्षाएं निर्धारित समय पर करवाई जाएं।

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