शूलिनी विश्वविद्यालय में ‘कोविड मैटामॉरफोसिस’ ई-पुस्तक का किया गया विमोचन

मंजू जैदका और नीलाक दत्ता द्वारा सम्पादित इस पुस्तक को शूलिनी विश्वविद्यालय की बैलेट्रिस्टिक साहित्य सोसाइटी ने किया है जारी

शूलिनी विश्वविद्यालय में ‘कोविड मैटामॉरफोसिस’ शीर्षक से एक ई-पुस्तक का विमोचन किया गया है। मंजू जैदका और नीलाक दत्ता द्वारा सम्पादित इस पुस्तक को शूलिनी विश्वविद्यालय की बैलेट्रिस्टिक साहित्य सोसाइटी ने जारी किया है। यह पुस्तक उन कहानियों का एक संग्रह है जो बताती हैं कि कैसे मानव-जीवन को दुनिया भर में व्याप्त कोरोना वायरस ने बदल दिया है।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षाविद् और लेखक मालाश्री लाल ने कहा कि कोरोना पर इण्टरनैट पर बहुत सारी सामग्री है, लेकिन यह पुस्तक अलग है और पहली ऐसी पुस्तक है जिसमें दुनिया भर से अनूठी और मौलिक कहानियों का अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहण है। माला श्री ने कहा कि ये कहानियां विशेष रूप से इस संग्रह के लिए लिखी गई हैं और अब तक अप्रकाशित हैं। उन्होंने कहा कि लेखकों ने इस पुस्तक में एक अनोखी आपदा के ख़िलाफ़ मानव के संघर्ष का दस्तावेज़ीकरण किया है।
इस अवसर पर शूलिनी विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति अतुल खोसला ने सम्बोधित करते हुए कहा कि इस तरह का ग्रॉउण्ड-ब्रेकिंग संग्रह विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में होना चाहिए और सम्भवतया शूलिनी विश्वविद्यालय इस पर एक पाठ्यक्रम पेश करके एक उदाहरण स्थापित करेगा।
इस पुस्तक में भारत और विदेश से अलैक्ज़ैण्डर बोस्कोविक, अनुपम नाहर, आसरा ममनून, कोरा ऐल. हार्ड्ट, दिशा पोखरियाल, ऐरिक चिनजे, हॉवर्ड वुल्फ़, केतकी दत्ता, कृष्णमुरारी मुखर्जी, ऐम. सिद्दीक़ ख़ान, महेश शर्मा, मनदीप कौर, मीनाक्षी तिवारी, मितुल सरकार, मुकेश विलियम्स, निशि पुलुगुर्था, पायल दत्ता चौधरी, पैड्रो पनहोका, प्रतिमा अग्निहोत्री, प्रतीप मजूमदार, सागर पाण्ड्या, शिखा ठाकुर, सुदीप्त साहा, सुनैना जैन, सुनीता पटनायक, सुनीता सिंह, तकबीर सालती, वर्जीनिया आर. डोमिनगुएज़, विवेक सचदेव और येशिम टर्नर ने अपना योगदान दिया है।

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