गूगल ने बनाया उमर ख़य्याम पर डूडल

गूगल ने उमर ख़य्याम पर डूडल बनाया है। वे फ़ारसी के कवि होने के साथ-साथ प्रसिद्ध दार्शनिक, गणितज्ञ और ज्योतिर्विद थे। उन्हें घन समीकरण के वर्गीकरण के लिए भी जाना जाता है।

आधुनिकता में ढले मधुबनी कला के रंग

आर्टिसन गैलरी वर्ष 2015 से मधुबनी कला को आधुनिकता में ढालकर कपड़ों, गहनों और घरेलू सजावट की चीज़ों पर उतार रही है। इससे महिलाओं को रोज़गार भी उपलब्ध हो रहा है।

किसान

मैथिलीशरण गुप्त हेमन्त में बहुदा घनों से पूर्ण रहता व्योम है पावस निशाओं में तथा हँसता शरद का सोम है हो जाये अच्छी भी फ़सल, पर लाभ कृषकों को कहाँ खाते, खवाई, बीज ऋण से हैं रंगे रक्खे जहाँ आता महाजन के यहाँ वह अन्न सारा अन्त में अधपेट…

घोर धनुर्धर, बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा

गजानन माधव मुक्तिबोध घोर धनुर्धर, बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा तेरी प्रत्यंचा का कम्पन सूनेपन का भार हरेगा हिमवत, जड़, निःस्पन्द हृदय के अन्धकार में जीवन-भय है तेरे तीक्ष्ण बाण की नोकों पर जीवन-संचार करेगा। तेरे क्रुद्ध वचन बाणों…

सर्वोच्च न्यायालय में रहस्यमयी ढंग से बदल गईं राफ़ेल मामले की तिथियां

सर्वोच्च न्यायालय में राफ़ेल मामले की तिथियां रहस्यमयी ढंग से बदल गईं। इस मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि वो हैरान हैं कि इस मामले से सम्बन्धित तिथियां कैसे बदल गईं।

रंजन गोगोई यौन-उत्पीड़न के मामले में हुए आरोप-मुक्त

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई यौन-उत्पीड़न के मामले में आरोप-मुक्त हो गए हैं। इस सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की आन्तरिक समिति ने कहा कि उसे उनके ख़िलाफ़ कोई ठोस आधार नहीं मिला है।

सर्वोच्च न्यायालय ने नैशनल हैराल्ड हॉउस को ख़ाली करने के फ़ैसले पर लगाई रोक

सर्वोच्च न्यायालय ने नैशनल हैराल्ड हॉउस को ख़ाली करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फ़ैसले पर रोक लगा दी है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि उन्हेंं यह तय करना है कि क्या ऐसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा यंग…

तुम आईं

केदारनाथ सिंह तुम आईं जैसे छीमियों में धीरे- धीरे आता है रस जैसे चलते-चलते एड़ी में काँटा जाए धंस तुम दिखीं जैसे कोई बच्चा सुन रहा हो कहानी तुम हंसीं जैसे तट पर बजता हो पानी तुम हिलीं जैसे हिलती है पत्ती जैसे लालटेन के शीशे में काँपती हो…

खुरदरे पैर

बैद्यनाथ मिश्र यात्री नागार्जुन खुब गए दूधिया निगाहों में फटी बिवाइयोंवाले खुरदरे पैर। धंस गए कुसुम-कोमल मन में गुट्ठल घट्ठों वाले कुलिश-कठोर पैर दे रहे थे गति रबड़-विहीन ठूंठ पैडलों को चला रहे थे एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन चक्र कर रहे थे…

हंसती रहने देना

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय जब आवे दिन तब देह बुझे या टूटे इन आँखों को हँसती रहने देना! हाथों ने बहुत अनर्थ किए पग ठौर-कुठौर चले मन के आगे भी खोटे लक्ष्य रहे वाणी ने (जाने अनजाने) सौ झूठ कहे पर आँखों ने हार, दुःख, अवसान, मृत्यु…