शीतल ही नहीं मन की अग्नि भी है चन्द्र

संजय ठाकुर
यह बात अब पूर्ण रूप से स्वीकार्य है कि ज्वार-भाटा के रूप में समुद्र में उठने वाली हलचल का सौर-मण्डल में चन्द्र ग्रह की स्थिति से बहुत गहरा व विशेष सम्बन्ध है। पृथ्वी पर पड़ने वाला चन्द्र ग्रह का यह ऐसा प्रभाव है जिसे प्रत्यक्ष रूप में अनुभव किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में यह बात पहले ही कही जा चुकी है किन्तु अब इसे वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखा व माना जाने लगा है। पृथ्वी पर पड़ने वाला चन्द्र ग्रह का एक ऐसा प्रभाव भी है जिसका प्राणी-मात्र के मन से सीधा सम्बन्ध है। ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र ग्रह को मन का भी कारक माना जाता है किन्तु चन्द्र ग्रह के मन से इस सम्बन्ध को अब विज्ञान की कसौटी पर भी कसकर देखा व सिद्ध किया जाने लगा है। ऐसे में सामान्य रूप से शीतलता के प्रतीक समझे जाने वाले चन्द्र ग्रह का महत्व बहुत अधिक हो जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र ग्रह की क्षीण या प्रबल अवस्था को एक मास के दो भिन्न-भिन्न पक्षों के आधार पर देखा जाता है। सामान्य रूप से चद्र ग्रह किसी भी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से शुक्ल पक्ष की सप्तमी तक क्षीण अवस्था में होता है किन्तु चन्द्र ग्रह सबसे अधिक क्षीण अमावस्या और इसके आसपास की तिथियों में होता है। इसी प्रकार किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से कृष्ण पक्ष की सप्तमी तक चन्द्र ग्रह की स्थिति को प्रबल माना जाता है किन्तु चन्द्र ग्रह सबसे अधिक प्रबल पूर्णिमा व इसके आसपास की तिथियों में होता है। चन्द्र ग्रह की ये क्षीण व प्रबल अवस्थाएं जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह की क्षीणता व प्रबलता को इंगित करती हैं।
जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह का क्षीण या प्रबल होना एक स्थिति है और चन्द्र ग्रह का शुभ या अशुभ होना दूसरी स्थिति। सामान्य रूप से चन्द्र ग्रह को सौम्य ग्रह माना जाता है किन्तु अशुभ अवस्था में यह क्रूर फल भी देता है। ऐसा चन्द्र ग्रह के अशुभ प्रभाव या क्रूर ग्रह के प्रभाव में होने की स्थिति में होता है। किसी भी व्यक्ति के सम्बन्ध में चन्द्र ग्रह के प्रभाव को देखने के लिए उस व्यक्ति के जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह की इन विशेष अवस्थाओं पर विचार किया जाना आवश्यक है।
जन्म लग्न के विभिन्न भावों में चन्द्र ग्रह को चौथे भाव का कारक माना जाता है। इसी कारण चन्द्र ग्रह माता, भूमि, भवन, वाहन, गृह सुख व मन का भी कारक हो जाता है। जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह की स्थिति शुभता व अशुभता के आधार पर व्यक्ति-विशेष के इन सभी पहलुओं को प्रभावित करती है। जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह का शुभ अवस्था में होना व्यक्ति-विशेष के इन सभी पहलुओं के सम्बन्ध में शुभता का संकेत है। जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह का किसी भी प्रकार से अशुभ अवस्था में होना व्यक्ति-विशेष के इन सभी पहलुओं के सम्बन्ध में अशुभता का द्योतक है। चन्द्र ग्रह जल का भी कारक ग्रह है। इन सभी बातों पर विचार करें तो चन्द्र ग्रह पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालता है। यहाँ चन्द्र ग्रह के पृथ्वी पर पड़ने वाले जलीय व प्राणी-मात्र पर पड़ने वाले मानसिक प्रभाव की बात करते हैं।
सौर-मण्डल में चन्द्र ग्रह की प्रबल स्थिति पृथ्वी पर जल व जलीय पदार्थों और मानसिक अवस्था में तीव्रता लाती है। ऐसे में पृथ्वी पर विशाल जल राशि में हलचल उत्पन्न होने के साथ-साथ प्राणी-मात्र में मानसिक उथल-पुथल मच जाती है। पृथ्वी पर जल की ऐसी हलचल को समुद्र में उठे ज्वार-भाटा के रूप में देखा जा सकता है तो प्राणी-मात्र की मानसिक उथल-पुथल को विभिन्न व्यक्तियों के स्वभाव में आए मानसिक परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है। चन्द्र ग्रह का यह प्रभाव सबसे अधिक पूर्णिमा व इसके आसपास की तिथियों में होता है। बीते समय की बड़ी-बड़ी समुद्री हलचलों का आकलन करें तो यह बात स्पष्ट रूप में सामने आती है कि समुद्र में उठे ज्वार-भाटा की यही तिथियां हैं। इसी प्रकार यह बात भी तथ्यरूप में स्थापित हो चुकी है कि किसी भी क्षेत्र में विक्षिप्त होने व आत्महत्या करने की घटनाएं इन्हीं तिथियों को सबसे अधिक होती हैं।
चन्द्र ग्रह की ऐसी प्रबल स्थिति का प्रभाव सभी व्यक्तियों पर एक-सा नहीं होता। इस प्रभाव को देखने के लिए जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह की स्थिति को देखना होता है। जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह किसी भी प्रकार से अशुभ प्रभाव में हो तो मानसिक स्थिति के बिगड़ने की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसी अवस्था में व्यक्ति मानसिक रूप से कितना प्रभावित होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति के जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह कितनी अशुभ स्थिति में है। जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह के बहुत अधिक अशुभ प्रभाव में होने से व्यक्ति-विशेष के विक्षिप्त होने या आत्महत्या करने की सम्भावनाएं बहुत अधिक होती हैं। यहाँ यह बात विचारणीय है कि सामान्यतया प्रबल चन्द्र ग्रह के अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति-विशेष के विक्षिप्त होने या आत्महत्या करने की सम्भावनाएं सबसे अधिक होती हैं। क्षीण चन्द्र ग्रह के अशुभ प्रभाव में होने पर भी व्यक्ति-विषेश के मन में आत्महत्या करने जैसे विचार आ सकते हैं किन्तु वह आत्महत्या करेगा ही, ऐसा होने की सम्भावनाएं बहुत कम होती हैं। ऐसी अवस्था में व्यक्ति का मन नकारात्मक प्रभाव में रहता है। उसके मन में अवसाद की स्थिति भी आ सकती है। क्षीण चन्द्र ग्रह के बहुत अधिक अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति-विशेष अवश्य ही आत्महत्या करेगा।
जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह विभिन्न प्रकार से अशुभ प्रभाव में आता है। चन्द्र ग्रह के साथ राहु या केतु ग्रह की युति चन्द्र ग्रह के अत्यन्त अशुभ स्थिति में होने की परिचायक है। चन्द्र ग्रह की ऐसी स्थिति वाला जन्म लग्न भी अशुभ प्रभाव में आ जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति-विशेष की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती है। ऐसे व्यक्ति की सोच में स्थिरता का भी अभाव होता है। सामान्यतया ऐसा व्यक्ति स्वार्थी होता है। ऐसा व्यक्ति कभी भी विश्वास के योग्य नहीं होता। ऐसा व्यक्ति शीघ्रता में निर्णय लेता है जिस कारण प्रायः उसे हानि उठानी पड़ती है। ऐसा व्यक्ति सदैव अपने निर्णयों को ही अधिक महत्व देता है और दूसरे लोगों पर विश्वास नहीं करता। ऐसे व्यक्ति में मानसिक उद्वेलन बहुत अधिक होता है। वह बहुत समय तक एक ही स्थान पर नहीं रुक सकता। वास्तव में ऐसा व्यक्ति उचित-अनुचित का निर्णय नहीं कर पाता। ऐसी ही स्थिति चन्द्र ग्रह के मंगल ग्रह के प्रभाव में होने पर भी होती है किन्तु यह स्थिति चन्द्र ग्रह के राहु या केतु ग्रह के प्रभाव में होने से कुछ कम अशुभ है। चन्द्र ग्रह की मंगल ग्रह के साथ युति होने से व्यक्ति-विशेष धन-सम्पदा वाला होता है। ऐसे व्यक्ति में लालच का भाव भी होता है। ऐसी स्थिति में जन्म लग्न के अन्य भी किसी प्रकार से अशुभ प्रभाव में होने से व्यक्ति-विशेष की मानसिक स्थिति बहुत अधिक बिगड़ सकती है। ऐसी स्थिति में जन्म लग्न के किसी भी प्रकार से शुभ प्रभाव में होने से व्यक्ति-विशेष की मानसिक स्थिति तो अवश्य ही ठीक नहीं होगी किन्तु वह चल व अचल सम्पत्ति का स्वामी होगा।
चन्द्र ग्रह पर सूर्य ग्रह का प्रभाव भी व्यक्ति-विशेष के मानसिक उद्वेलन या मानसिक अवसाद का परिचायक है। चन्द्र ग्रह से सूर्य ग्रह का सप्तम स्थान में होना मानसिक तीव्रता का परिचायक है। ऐसे में व्यक्ति-विशेष मानसिक रूप से स्थिर नहीं होता है। ऐसी अवस्था में यदि जन्म लग्न अन्य भी किसी प्रकार से अशुभ प्रभाव में हो तो व्यक्ति-विषेश की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होगी। ऐसा व्यक्ति शीघ्रता में निर्णय लेता है। ऐसा व्यक्ति आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाला भी हो सकता है। इस सम्बन्ध में जन्म लग्न की अन्य शुभ स्थितियां होने पर ऐसा व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति भी कर सकता है। चन्द्र ग्रह पर सूर्य ग्रह की युति से पड़ने वाला प्रभाव व्यक्ति-विशेष की नकारात्मक मानसिक स्थिति का परिचायक है। इस प्रभाव की तीव्रता में ऐसा व्यक्ति मानसिक अवसाद की स्थिति में भी जा सकता है।
चन्द्र ग्रह पर षनि ग्रह का प्रभाव विभिन्न प्रकार से महत्वपूर्ण है। चन्द्र ग्रह व शनि ग्रह की युति से विष योग बनता है। सामान्य रूप से इस योग को शुभ नहीं माना जाता। ऐसी स्थिति में व्यक्ति-विशेष के मन पर नकारात्मक प्रभाव होता है। उसमें मानसिक अवसाद की स्थिति भी आ सकती है। विष योग का यह प्रभाव कई अर्थों में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। इस योग के प्रभाव से अवष्य ही व्यक्ति-विशेष मानसिक अवसाद की स्थिति में जा सकता है किन्तु ऐसा उसकी असामान्य सोच से होता है। जन्म लग्न के शुभ स्थानों व शुभ स्थिति में बने विष योग से व्यक्ति-विशेष विलक्षण सोच लिए होता है। उसके विचारों को समझना किसी भी के लिए अत्यन्त कठिन होता है। ऐसे व्यक्ति के विचार बहुत अधिक असामान्य होते हैं। विष योग के प्रभाव वाला व्यक्ति समाज को नई सोच व दिशा देने की क्षमता लिए होता है। जन्म लग्न के केन्द्र स्थान में बना विष योग व्यक्ति-विशेष के बहुत बड़े विचारक व दार्शनिक होने का परिचायक है। ऐसा व्यक्ति निश्चित ही विलक्षण सोच लिए होता है। ऐसे में जन्म लग्न अन्य भी किसी प्रकार से शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति-विशेष निश्चित ही समाज में नई सोच व नए विचारों का संचार करता है। ऐसे व्यक्ति को समझ पाना किसी भी के लिए अत्यन्त कठिन है। विष योग के प्रभाव में मानसिक अवसाद की स्थिति इसलिए आती है कि अपने विचारों में लीन रहने के कारण कई बार व्यक्ति अपने ही विचारों में उलझ कर रह जाता है। किन्तु ऐसा सामान्यतया विष योग के केन्द्र स्थान के अतिरिक्त अन्य किसी स्थान पर बने होने या जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह के क्षीण अवस्था में होने या जन्म लग्न के अन्य किसी प्रकार से अशुभ प्रभाव में होने से होता है। केन्द्र स्थान में बने विष योग की स्थिति में यदि सूर्य बलवान स्थिति में या लग्न में हो तो व्यक्ति-विशेष विलक्षण सोच लिए समाज में सबसे अलग दिखाई देता है। ऐसा व्यक्ति भीड़ में भी सबसे अलग दिखाई देता है और सभी उससे मिलने के लिए लालायित रहते हैं। ऐसा व्यक्ति निश्चित ही समाज को नई दिशा देता है। केन्द्र स्थान में बने विष योग पर बृहस्पति ग्रह का दृश्टि-प्रभाव बहुत ही षुभ स्थिति है। ऐसा व्यक्ति उच्च श्रेणी के दार्शनिक गुण लिए होता है। ऐसा व्यक्ति आध्यात्मिकता के अन्तिम शिखर पर पहुँचता है। विष योग पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव बहुत ही अशुभ स्थिति है। ऐसा व्यक्ति विक्षिप्तता की स्थिति में भी जा सकता है। विष योग पर शुभ ग्रहों का प्रभाव निश्चित ही विष योग की सामान्य अशुभता को कम करता है।
इस प्रकार चन्द्र ग्रह पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालता है। यह प्रभाव पृथ्वी पर जहाँ जल व जलीय पदार्थों पर पड़ता है वहीं इससे प्राणी-मात्र का मन भी प्रभावित होता है। सौर-मण्डल में चन्द्र ग्रह की स्थिति पृथ्वी पर समुद्र की हलचल भी है और प्राणी-मात्र के मन की उथल-पुथल भी। जन्म लग्न में चन्द्र ग्रह पर विभिन्न रूपों में पड़ने वाला अशुभ प्रभाव व्यक्ति-विशेष की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। चन्द्र ग्रह पर पड़े अशुभ प्रभाव की तीव्रता की स्थिति में व्यक्ति-विशेष की मानसिक स्थिति बिगड़ कर रह जाती है। ऐसी अवस्था में वह विक्षिप्तता की स्थिति में भी पहुँच सकता है और आत्महत्या भी कर सकता है। इस प्रकार देखें तो पृथ्वी पर शीतलता का पर्याय चन्द्र ग्रह शीतल ही नहीं मन की अग्नि भी है। एक ऐसी अग्नि जो भड़की हुई अवस्था में जीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है। मन पर पड़ने वाले चन्द्र ग्रह के ऐसे प्रभाव को समझ कर चन्द्र ग्रह की इस अशुभता को कम करने के उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों से निश्चित ही चन्द्र ग्रह के अशुभ प्रभावों की तीव्रता को कम कर मन को अवसाद की स्थिति में जाने से रोका जा सकता है।

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