शूलिनी विश्वविद्यालय में किया जा रहा है छात्रों के भविष्य से खिलवाड़

यह विश्वविद्यालय अपनी फ़र्ज़ी रैंकिंग दिखाकर छात्रों को ग़लत तरीके से अपनी तरफ़ खींचने का अपना रहा है हथकण्डा

शूलिनी विश्वविद्यालय में छात्रों से धोखाधड़ी करके उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। यह विश्वविद्यालय अपनी फ़र्ज़ी रैंकिंग दिखाकर छात्रों को ग़लत तरीके से अपनी तरफ़ खींचने का हथकण्डा अपना रहा है। ‘संजय उवाच’ को प्राप्त शूलिनी विश्वविद्यालय के दस्तावेज़ों के अनुसार इस विश्वविद्यालय ने छात्रों को ग़लत तरीके से अपनी तरफ़ खींचने के लिए अपनी और विभिन्न विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों की झूठी रैंकिंग बना रखी है। छात्र इस फ़र्ज़ी रैंकिंग के आधार पर इस विश्वविद्यालय की ओर आकर्षित होते हैं और ऐच्छिक विषय में पढ़ाई करने के लिए यहाँ दाख़िला ले लेते हैं। छात्रों को जब तक वास्तविक स्थिति का पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। धोखाधड़ी का यह खेल इतना ख़तरनाक है कि इसमें विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों की रैंकिंग भी शूलिनी विश्वविद्यालय से कहीं नीचे दिखाई गई है। यहाँ तक कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे भारत के शिक्षा के सबसे अग्रणी शिक्षण-संस्थानों को भी शूलिनी विश्वविद्यालय से बहुत पीछे दिखाया गया है।
ग़ौरतलब है कि हाल ही में जारी विश्वविद्यालयों की वैश्विक रैंकिंग के अनुसार भारत के सिर्फ़ तीन विश्वविद्यालय पहले 200 विश्वविद्यालयों की सूची में आते हैं। ऐसे में शूलिनी विश्वविद्यालय द्वारा जारी स्वयम्भू रैंकिंग हास्यास्पद तो है ही साथ ही आपराधिक मानसिकता की भी परिचायक है।
इस सम्बन्ध में विश्वविद्यालय का पक्ष जानने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति पी. के. खोसला से सम्पर्क करना चाहा तो विश्वविद्यालय के जन-सम्पर्क अधिकारी ने निदेशक विपिन पब्बी से बात करने के लिए कहा, लेकिन उनके ध्यान में यह मामला पहले ही लाया जा चुका था जिस पर उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की थी।
याद रहे कि अभी मानव भारती विश्वविद्यालय में फ़र्ज़ी डिग्री घोटाले को उजागर हुए ज़्यादा दिन नहीं बीते हैं और एक अन्य निजी विश्वविद्यालय अलख प्रकाश गोयल भी सवालों के घेरे में है। ऐसे में एक और निजी विश्वविद्यालय का यह ‘कारनामा’ निजी विश्वविद्यालयों की सन्दिग्ध कार्य-प्रणाली और इन विश्वविद्यालयों में चल रहे ख़तरनाक खेल की तरफ़ इशारा करता है। भारत सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और हिमाचल प्रदेश सरकार को इसका संज्ञान लेकर इन विश्वविद्यालयों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि छात्रों को इन विश्वविद्यालयों द्वारा की जा रही धोखाधड़ी से बचाया जा सके।

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