राजनेताओं के लिए अलग से गाइडलाइन नहीं बनाई जा सकतीं, बोला सर्वोच्च न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी केन्द्रीय जाँच एजैन्सियों के दुरुपयोग को लेकर 14 विपक्षी दलों द्वारा दायर एक याचिका पर की यह टिप्पणी
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा है कि राजनेताओं के लिए अलग से गाइडलाइन नहीं बनाई जा सकती हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी केन्द्रीय जाँच एजैन्सियों के दुरुपयोग को लेकर 14 विपक्षी दलों द्वारा दायर एक याचिका पर की। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे को संसद में उठाने का सुझाव दिया।
सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एक राजनीतिक दल का नेता मूल रूप से एक नागरिक होता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नागरिक के रूप में हम सभी एक ही क़ानून के अधीन हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल उठाया कि क्या राजनेताओं के पास नागरिक के रूप में कोई विशेषाधिकार हैं।
सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद विपक्षी दलों की तरफ़ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने साफ़ किया कि वो विपक्षी नेताओं के लिए कोई सुरक्षा या छूट नहीं माँग रहे हैं बल्कि क़ानून की निष्पक्षता चाहते हैं। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार विपक्ष को कमज़ोर करने और डराने के लिए सरकारी एजैन्सियों का दुरुपयोग कर रही है जो लोकतन्त्र और क़ानून के शासन के लिए नुक़सानदेय है। सिंघवी ने कहा कि सरकार न्यायालय द्वारा निर्धारित ट्रिपल टैस्ट यानी किसी की गिरफ़्तारी की वजह, ज़रूरत और गुनाह के मुताबिक सज़ा, का भी उल्लंघन कर रही है।
इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका के बारे कहा कि यह पूरी तरह राजनेताओं के लिए ही है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इसमें आम नागरिकों के अधिकारों और हितों को ध्यान में नहीं रखा गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सुझाव दिया कि अभिषेक मनु सिंघवी अपनी चिन्ताओं को संसद में उठा सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका वापस ले ली। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सत्ता के दुरुपयोग को लेकर जब उनके पास मज़बूत तथ्य होंगे तो वो फिर न्यायालय आएंगे।