पिछले 10 साल में मज़दूरों की ख़रीदने की क्षमता में भारी कमी आई है, बोले जयराम रमेश

जयराम रमेश ने आज कहा कि 400 रुपये प्रतिदिन राष्ट्रव्यापी न्यूनतम वेतन का समय आ गया है

काँग्रेस के संचार महासचिव और राज्यसभा साँसद जयराम रमेश ने वीरवार को कहा है कि पिछले 10 साल में मज़दूरों की ख़रीदने की क्षमता में भारी कमी आई है। जयराम रमेश ने आज कहा कि 400 रुपये प्रतिदिन राष्ट्रव्यापी न्यूनतम वेतन का समय आ गया है।
जयराम रमेश ने कहा कि सरकार के अपने आधिकारिक आँकड़ों सहित कई डाटा स्रोत इस पर एकमत हैं कि आज मज़दूर 10 साल पहले की तुलना में कम ख़रीद सकते हैं। जयराम ने कहा कि धीमी वेतन-वृद्धि और कमरतोड़ मुद्रास्फीति के संयोजन ने वास्तविक मज़दूरी में अभूतपूर्व गिरावट लाई है।
जयराम रमेश ने कहा कि मज़दूरों के लिए वास्तविक मज़दूरी 2014-2023 के बीच स्थिर रही, और वास्तव में 2019-2024 के बीच घट गई। जयराम ने कहा कि पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में, कृषि-मज़दूरों के लिए वास्तविक मज़दूरी हर साल 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी। उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में कृषि-मज़दूरों की वास्तविक मज़दूरी में हर साल 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। जयराम रमेश ने कहा कि 2017 और 2022 के बीच सभी प्रकार के रोज़गारों, वेतनभोगी श्रमिकों, आकस्मिक श्रमिकों और स्व-नियोजित श्रमिकों में औसत वास्तविक आय स्थिर रही है। जयराम ने कहा कि ईंट-भट्ठा श्रमिकों की वास्तविक मज़दूरी 2014 और 2022 के बीच स्थिर या कम हो गई है। उन्होंने कहा कि ईंट-भट्ठों में गहन श्रम शामिल है, और यह भारत के सबसे ग़रीब लोगों के लिए अन्तिम उपाय है।
जयराम रमेश ने कहा कि हमारे श्रमिकों को न्याय दिलाने और स्थिर मज़दूरी के इस चक्र को दूर करने के लिए काँग्रेस ने अपने न्यायपत्र में प्रतिदिन 400 रुपये के राष्ट्रव्यापी न्यूनतम वेतन की गारण्टी दी थी। जयराम ने कहा कि 400 रुपये प्रतिदिन का राष्ट्रव्यापी न्यूनतम वेतन एक ऐसा विचार है जिसका समय आ गया है।

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