देखना है कि रिहाई में दिमाग़ का इस्तेमाल हुआ या नहीं, बोला सर्वोच्च न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय ने बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के 11 दोषियों को रिहा किए जाने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीऐम) की नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और ऐक्टिविस्ट रूप रेखा रानी द्वारा दायर अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए कही यह बात
सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के 11 दोषियों को रिहा किए जाने के फ़ैसले पर कहा है कि हमें यह देखना होगा कि इसमें दिमाग़ का इस्तेमाल किया गया या नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने वीरवार को यह बात दोषियों को रिहा किए जाने के ख़िलाफ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीऐम) की नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और ऐक्टिविस्ट रूप रेखा रानी द्वारा दायर अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए कही।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस न्यायालय ने दोषियों की रिहाई का आदेश नहीं दिया था बल्कि सरकार को सिर्फ़ अपनी रिहाई नीति के आधार पर विचार करने को कहा था। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में केन्द्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर, जवाब माँगा है।
सर्वोच्च न्यायालय ने रिहा किए गए 11 दोषियों को भी इस मामले में पार्टी बनाने को कहा है। सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील ने इस तर्क पर विचार करने की गुज़ारिश की थी कि यह याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई अब दो हफ़्ते बाद करने का फ़ैसला लिया है।
याद रहे कि पिछले हफ़्ते गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। सरकार के इस कदम पर गुजरात समेत देश भर में सवाल उठाए गए हैं और विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है।