नामाँकन की भी स्वतन्त्रता न हो तो स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनावों का सवाल ही नहीं

सर्वोच्च न्यायालय ने आज की यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों में केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ पश्चिम बंगाल सरकार और पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (डब्ल्यूबीऐसईसी) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को टिप्पणी की है कि अगर लोगों को नामाँकन-पत्र दाख़िल करने की भी स्वतन्त्रता न हो तो स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनावों का सवाल ही नहीं उठता है। सर्वोच्च न्यायालय ने आज यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों में केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ पश्चिम बंगाल सरकार और पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (डब्ल्यूबीऐसईसी) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की। सर्वोच्च न्यायालय ने आज इन याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि पश्चिम बंगाल में साल 2013 और साल 2018 के चुनावों में हिंसा का एक पुराना इतिहास रहा है जिस कारण कलकत्ता हाई कोर्ट ने ये आदेश दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हिंसा के माहौल में चुनाव नहीं करवाए जा सकते। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि चुनाव निष्पक्ष और स्वतन्त्र होने चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अगर लोगों को इस बात की भी स्वतन्त्रता नहीं है कि वो चुनावों में नामाँकन-पत्र दाख़िल कर पाएं और उनकी हत्या कर दी जाए तो फिर स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनावों की बात का सवाल ही नहीं उठता।

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