भारत सरकार ने कर्ज़दारों को अधिक राहत देने में जताई असमर्थता
सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल नए हलफ़नामे में सरकार ने कहा है कि कोरोना महामारी के दृष्टिगत अब तक घोषित किए जा चुके राहत-उपायों से अधिक किसी भी घोषणा से अर्थव्यवस्था को पहुँच सकता है नुकसान और हो सकता है कि बैंक इन अपरिहार्य वित्तीय बाधाओं का न कर पाएं सामना
भारत सरकार ने कर्ज़दारों को अधिक राहत देने में असमर्थता जताई है। सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल नए हलफ़नामे में सरकार ने कहा है कि कोरोना महामारी के दृष्टिगत अब तक घोषित किए जा चुके राहत-उपायों से अधिक किसी भी घोषणा से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँच सकता है और हो सकता है कि बैंक इन अपरिहार्य वित्तीय बाधाओं का सामना न कर पाएं। सरकार ने हलफ़नामे में यह भी कहा है कि नीतियां बनाना सरकार के अधिकार-क्षेत्र में आता है और न्यायालय को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सरकार ने यह स्पष्ट किया कि दो करोड़ रुपये के कर्ज़ पर छह महीने के चक्रवृद्धि ब्याज को माफ़ करने से अधिक राहत देने से अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र को नुकसान होगा।
ग़ौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफ़नामा दिया था कि कोरोना महामारी के कारण छह महीने की अवधि के किस्त-स्थगन के अन्तर्गत दो करोड़ रुपये तक के कर्ज़ के ब्याज पर ब्याज नहीं लिया जाएगा। सरकार के इस हलफ़नामे को सर्वोच्च न्यायालय ने असन्तोषजनक कहते हुए नया हलफ़नामा दाखिल करने को कहा था।