मोदी सरकारी कार्यालयों और कर्मचारियों का राजनीतिकरण करना चाहते हैं, बोले खड़गे

मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज कहा कि मोदी सरकार साँवैधानिक निकायों पर नियन्त्रण करने और पिछले दरवाज़े से घुसकर संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास जारी रखे हुए है

काँग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकारी कार्यालयों और कर्मचारियों का वैचारिक आधार पर राजनीतिकरण करना चाहते हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज कहा कि मोदी सरकार साँवैधानिक निकायों पर नियन्त्रण करने और पिछले दरवाज़े से घुसकर संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास जारी रखे हुए है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 1947 में आज ही के दिन भारत ने अपना राष्ट्रीय ध्वज अपनाया था। खड़गे ने कहा कि आरऐसऐस ने तिरंगे का विरोध किया था, और सरदार पटेल ने उन्हें इसके ख़िलाफ़ चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि चार फ़रवरी, 1948 को महात्मा गाँधी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरऐसऐस पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया था।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के आरऐसऐस की गतिविधियों में शामिल होने पर 1966 में लगा प्रतिबन्ध नरेंद्र मोदी ने 58 साल बाद हटा दिया है। खड़गे ने कहा कि हम जानते हैं कि कैसे भाजपा सभी साँवैधानिक और स्वायत्त निकायों पर संस्थागत रूप से क़ब्ज़ा करने के लिए आरऐसऐस का उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के आरऐसऐस की गतिविधियों में भाग लेने पर लगे प्रतिबन्ध को हटाकर नरेंद्र मोदी सरकारी कार्यालयों और कर्मचारियों का वैचारिक आधार पर राजनीतिकरण करना चाहते हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह सरकारी कार्यालयों में लोकसेवकों की तटस्थता की भावना और संविधान की सर्वोच्चता के लिए एक चुनौती होगी। खड़गे ने कहा कि यह आरऐसऐस द्वारा सरदार पटेल से माँगी गई माफ़ी और उनको दिए गए आश्वासन का भी उल्लंघन है, जिसमें वादा किया गया था कि आरऐसऐस भारत के संविधान के अनुसार बिना किसी राजनीतिक एजैण्डे के एक सामाजिक संगठन के रूप में काम करेगा।

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