सभी महिलाओं को है सुरक्षित और क़ानूनी गर्भपात का हक़, बोला सर्वोच्च न्यायालय

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि गर्भपात के हक़ में महिला के विवाहित या अविवाहित होने से फ़र्क नहीं पड़ता

सर्वोच्च न्यायालय ने वीरवार को कहा है कि सुरक्षित और क़ानूनी गर्भपात का हक़ सभी महिलाओं को है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि गर्भपात के हक़ में महिला के विवाहित या अविवाहित होने से फ़र्क नहीं पड़ता।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मैडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रैग्नैन्सी ऐक्ट के तहत 22 से 24 हफ़्ते तक गर्भपात का हक़ सभी महिलाओं को है, चाहे वो विवाहित हों या अविवाहित। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अगर पत्नी जबरन शारीरिक सम्बन्ध की वजह से गर्भवती होती है तो उसे सेफ़ और लीगल गर्भपात का हक़ है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मैडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रैग्नैन्सी ऐक्ट में मैरिटल रेप को भी शामिल किया जाना चाहिए।

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