एक स्वर में बोलने वाली संस्था स्वस्थ लोकतन्त्र का संकेत नहीं होगी, बोले ऐन. वी. रमना

ऐन. वी. रमना ने कहा कि देश को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि 30 से ज़्यादा स्वतन्त्र न्यायाधीश हमेशा एक स्वर में बोलें

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ऐन. वी. रमना ने कहा है कि एक स्वर में बोलने वाली संस्था स्वस्थ लोकतन्त्र का संकेत नहीं होगी। ऐन. वी. रमना ने कहा कि देश को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि 30 से ज़्यादा स्वतन्त्र न्यायाधीश हमेशा एक स्वर में बोलें। रमना कैपिटल फ़ॉउण्डेशन ऐनुअल लैक्चर कार्यक्रम में बोल रहे थे।
सर्वोच्च न्यायालय के परस्पर विरोधी और अलग-अलग फ़ैसलों पर ऐन. वी. रमना ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के सभी जजों से हमेशा एक स्वर में बोलने की अपेक्षा करना ग़लत होगा। रमना ने विभिन्न न्यायाधीशों द्वारा ज़मानत देने से सम्बन्धित अलग-अलग मामलों में फ़ैसला लेने के लिए अपनाए गए अलग-अलग आधारों की तरफ़ इशारा किया। पिछले सात दशकों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फ़ैसलों पर उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय से कई तरह की राय निकली है। ऐन. वी. रमना ने कहा कि एक संस्था के रूप में न्यायपालिका को किसी एक राय के आधार पर नहीं आँका जा सकता।

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