वादों पर ही नहीं मिलती जीत, सर्वोच्च न्यायालय ने जनता के पैसे पर जताई चिन्ता

मुख्य न्यायाधीश ऐन. वी. रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हम राजनीतिक दलों द्वारा सुविधाएं और चीज़ें दिए जाने की योजनाओं के ऐलान पर रोक नहीं लगा सकते

सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा है कि राजनीतिक दलों को अकेले वादों के आधार पर ही जीत नहीं मिलती। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कई बार राजनीतिक दल वादे भी करते हैं, लेकिन उसके बाद भी जीत नहीं पाते। सर्वोच्च न्यायालय ने इस सन्दर्भ में मनरेगा का उदाहरण भी दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह सरकार का काम है कि वह लोगों के कल्याण के लिए काम करे। सर्वोच्च न्यायालय ने जनता के पैसे को ख़र्च करने के तरीके को लेकर चिन्ता जताई।
मुख्य न्यायाधीश ऐन. वी. रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हम राजनीतिक दलों द्वारा सुविधाएं और चीज़ें दिए जाने की योजनाओं के ऐलान पर रोक नहीं लगा सकते। ऐन. वी. रमना ने कहा कि हम राजनीतिक दलों को वादे करने से नहीं रोक सकते।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह चिन्ता की बात है कि जनता के पैसे को ख़र्च करने का सही तरीका क्या हो सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि किन योजनाओं को मुफ़्तखोरी की घोषणाओं में शामिल किया जा सकता है और किन्हें नहीं, यह बहुत ही पेचीदा मसला है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कुछ लोगों का कहना होता है कि पैसे की बर्बादी हो रही है जबकि कुछ लोगों की राय होती है कि यह कल्याण है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह मामला पेचीदा होता जा रहा है।

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