शब्दों पर पाबन्दी है ग़ैर-ज़रूरी, विपक्ष ने किया लोकसभा सचिवालय की बुकलैट का विरोध
विपक्ष ने कहा कि अगर आप अपनी आलोचना में रचनात्मक नहीं हो सकते तो संसद का क्या मतलब है
वीरवार को विपक्ष ने लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बुकलैट का विरोध करते हुए कहा है कि शब्दों पर पाबन्दी ग़ैर-ज़रूरी है। विपक्ष ने कहा कि अगर आप अपनी आलोचना में रचनात्मक नहीं हो सकते तो संसद का क्या मतलब है।
ग़ौरतलब है कि 18 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरु होने जा रहा है। सत्र शुरु होने से पहले लोकसभा सचिवालय द्वारा एक नई बुकलेट जारी की गई है जिसमें शकुनि, तानाशाह, तानाशाही, जयचन्द, विनाश पुरुष, ख़ालिस्तानी, ख़ून से खेती, जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, ऐनारकिस्ट, डिक्टेटोरियल, कोविड स्प्रैडर और स्नूपगेट जैसे हिन्दी-अंग्रेज़ी के कई शब्दों की सूची है। इन शब्दों को असंसदीय भाषा के तहत रखा गया है और इन्हें संसद की कार्रवाई से हटा दिया जाएगा।