न्यायालय ने छेड़छाड़ और ठेस से सम्बन्धित मुकद्दमों की प्रवृत्ति पर रोक पर दिया ज़ोर

जस्टिस स्वर्णकान्ता शर्मा ने आरोपित और शिकायतकर्ता के बीच हुए समझौते के आधार पर दर्ज एक मुक़द्दमे को ख़ारिज करते हुए की टिप्पणी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पड़ोसियों के आपसी विवाद में महिलाओं से छेड़छाड़ और मान-सम्मान को ठेस पहुँचाने के इल्ज़ामों में मुक़द्दमा दर्ज कराने को गम्भीरता से लेते हुए कहा है कि इस प्रवृत्ति पर फ़ौरन रोक लगाने की ज़रूरत है। यह टिप्पणी जस्टिस स्वर्णकान्ता शर्मा ने आरोपित और शिकायतकर्ता के बीच हुए समझौते के आधार पर दर्ज एक मुक़द्दमे को ख़ारिज करते हुए की।
उच्च न्यायालय ने कहा कि पड़ोसियों के बीच विवादों को निपटाने के लिए महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराध यानी आईपीसी की धारा 354 और 509 के तहत मामले दर्ज कराने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। न्यायालय ने कहा कि यह एक चिन्ता की बात है और इस पर फ़ौरन रोक लगाने की ज़रूरत है।
ख़ारिज किए गए मुक़द्दमे में दोनों पक्षों ने उच्च न्यायालय से कहा था कि विवाद ग़लतफ़हमी के चलते हो गया था और अब समझौता हो गया है, ऐसे में दर्ज मुक़द्दमे को ख़ारिज कर दिया जाए। हालाँकि न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद साल 2017 में बाबा हरिदास नगर थाने में दर्ज मुक़द्दमे को रद्द कर दिया, लेकिन इस मामले के प्रत्येक आरोपित पर दस-दस हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

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