शिमला स्मार्ट सिटी के तहत इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है कि गमले जंगल में भी रख दिए गए हैं। यह बात हिमाचल प्रदेश फ़ोरम अगेन्स्ट करप्शन (ऐफ़एसी) ने शिमला में एक संवाददाता सम्मेलन में कही।
फ़ोरम ने कहा कि ठेकेदारों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए पैसों की बर्बादी की जा रही है। फ़ोरम ने कहा कि यह बात कोई भी समझ सकता है कि जंगल में गमलों की कोई ज़रूरत नहीं होती। फ़ोरम ने कहा कि बालूगंज में छह-सात फ़ुट सड़क को चौड़ा करने के लिए छह-सात करोड़ रुपये ख़र्च किए गए हैं।
फ़ोरम ने कहा कि स्मार्ट सिटी के लिए शिमला का चयन हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के फ़ैसले के बाद किया गया था क्योंकि उस वक़्त नियमों को दरकिनार करके शिमला की जगह धर्मशाला को चुन लिया गया था। फ़ोरम ने कहा कि शिमला स्मार्ट सिटी के तहत शिमला के विकास की जो रूपरेखा तैयार की गई थी उस पर काम नहीं किया गया। फ़ोरम ने कहा कि इसके तहत शिमला में लोगों की आवाजाही और पानी जैसे मुद्दों को ख़ास अहमियत दी गई थी। फ़ोरम ने कहा कि शिमला स्मार्ट सिटी के तहत इन मुद्दों को पूरी तरह छोड़ दिया गया है। फ़ोरम ने कहा कि शिमला स्मार्ट सिटी के तहत शिमला में छह सुरंगों का निर्माण किया जाना था, लेकिन सिर्फ़ एक सुरंग पर काम किया गया है। फ़ोरम ने आगे कहा कि रिपन अस्पताल की हालत को भी सुधारा जाना था, लेकिन वह भी नहीं किया गया।