भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निज़ामुद्दीन में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर मीडिया रिपोर्टिंग से सम्बन्धित मामले में केन्द्र सरकार के जवाब को अति आक्रामक और बेशर्मी भरा कहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का सर्वाधिक दुरुपयोग हुआ है। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविन्द बोबडे, न्यायमूर्ति ए. ऐस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की एक पीठ ने यह टिप्पणी मरकज़ निज़ामुद्दीन में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर नफ़रत फैलाने के लिए मीडिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई किए जाने सम्बन्धी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की।
केन्द्र सरकार ने इस मामले में मीडिया का बचाव करते हुए कहा था कि उसे ख़राब रिपोर्टिंग का कोई भी मामला नहीं दिखा। सरकार के इस हलफ़नामे पर सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की खिंचाई करते हुए महान्यायवादी तुषार मेहता को निर्देश दिए कि सरकार की तरफ़ से नया जवाबी हलफ़नामा सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय के सचिव ख़ुद दाखिल करें जिसमें कोई अनावश्यक या बेतुकी बात न हो। सर्वोच्च न्यायालय ने किसी कनिष्ठ अधिकारी द्वारा हलफ़नामा दाखिल करने पर कड़ा ऐतराज़ जताया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह हलफ़नामा बचकाना है। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के वकील से कहा कि आप इस न्यायालय से उस तरीके से सलूक नहीं कर सकते जैसा कि आपने किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि आप यह कैसे कह सकते हैं कि ख़राब रिपोर्टिंग का कोई मामला नहीं दिखा।
इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद करने के आदेश दिए गए हैं।