भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शाहनवाज़ हुसैन ने बलात्कार के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सर्वोच्च न्यायालय का रुख़ किया है। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को शाहनवाज़ हुसैन के ख़िलाफ़ ऐफ़आईआर दर्ज करने का आदेश दिया था और जाँच पूरी करने के लिए तीन महीने की समय-सीमा तय की थी। शाहनवाज़ की अर्ज़ी को मुख्य न्यायाधीश ऐन. वी. रमना की पीठ के सामने तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मैरिट न होने की बात कहकर शाहनवाज़ हुसैन की याचिका को ख़ारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने इस मामले में ऐफ़आईआर दर्ज करने और तीन महीने के अन्दर यह रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था कि कितनी जाँच हुई है और क्या पाया गया है।
जस्टिस आशा मेनन की पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि मैट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट की तरफ़ से दिए गए ऐफ़आईआर के आदेश में कोई ख़ामी नहीं पाई गई है। न्यायालय ने इस मामले में पुलिस को ऐफ़आईआर दर्ज करने और सीआरपीसी की सैक्शन 173 के तहत रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा था।