भारतीय रिज़र्व बैंक की बैलेंस-शीट पर भी पड़ा नोटबन्दी का असर

नोटबन्दी का असर भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की बैलेंस-शीट पर भी पड़ा है। आरबीआई के ‘इकॉनोमिक कैपिटल फ़्रेमवर्क’ की समीक्षा के लिए विमल जालान की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नवम्बर, 2016 में एक हज़ार रुपये और पाँच सौ रुपये के पुराने नोटों को प्रचलन से बाहर किए जाने से आरबीआई की पिछले पाँच वर्ष की औसत विकास-दर घटकर 8.6 प्रतिशत रही है।
अन्य बातों के अतिरिक्त इस समिति ने आरबीआई के वित्त वर्ष को बदलकर अप्रैल-मार्च करने की भी सिफ़ारिश की है।

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