राकेश पठानिया ने स्थानीय लोगों और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कहा

800 करोड़ रुपए की जापान अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एजैन्सी द्वारा वित्तपोषित भारत जापान सहयोग के हिस्से के रूप में कार्यान्वित की जा रही परियोजना के सम्बन्ध में पठानिया ने कहा कि वो गतिविधियों का फ़ील्ड में जाकर ख़ुद लेंगे जायज़ा

हिमाचल प्रदेश के वन, युवा सेवाएं एवं खेल मन्त्री राकेश पठानिया ने वन पारिस्थितिकी तन्त्र प्रबन्धन और आजीविका सुधार जैसे महत्वपूर्ण व महत्वाकांक्षी कार्यों में स्थानीय लोगों और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कहा है। राकेश पठानिया ने कहा कि प्रदेश में हरित क्षेत्र बढ़ाने के साथ-साथ लोगों के सतत् सामाजिक व आर्थिक विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सभी की बराबर भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
800 करोड़ रुपए की जापान अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एजैन्सी (जाइका) द्वारा वित्तपोषित भारत जापान सहयोग के हिस्से के रूप में कार्यान्वित की जा रही परियोजना के सम्बन्ध में पठानिया ने कहा कि वो गतिविधियों का फ़ील्ड में जाकर ख़ुद जायज़ा लेंगे। उन्होंने परियोजना-कार्यान्वयन की गति को और तेज़ करने के निर्देश दिए हैं।
पठानिया ने कहा कि वर्ष 2030 तक प्रदेश का हरित क्षेत्र (ग्रीन कवर) मौजूदा 27.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति में इस परियोजना का अहम योगदान होगा। पठानिया ने कहा कि इस परियोजना के सहयोग से वन विभाग की 61 नर्सरियों का सुदृढ़ीकरण किया जा चुका है जिसके चलते विभाग की नर्सरियों की क्षमता 35 लाख पौधे बढ़ी है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,631 हैक्टेयर भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। पठानिया ने कहा कि वनों पर निर्भर समुदायों के आजीविका-सुधार के दृष्टिगत उन्हें निजी भूमि के साथ-साथ वन-भूमि पर भी औषधीय व सुगन्धित पौधों की खेती की इजाज़त दी जाएगी।
इस परियोजना के लक्ष्य और उद्देश्यों की चर्चा करते हुए पठानिया ने कहा कि इस परियोजना के तहत सतत वन पारिस्थितिकी तन्त्र प्रबन्धन व सम्वर्द्धन, जैव विविधता संरक्षण, आजीविका सुधार सहायता और संस्थागत क्षमता सुदृढ़ीकरण पर ज़ोर रहेगा। उन्होंने कहा कि परियोजना-कार्यान्वयन में सूचना-प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। पठानिया ने कहा कि परियोजना की गतिविधियों के चलते जहाँ मानव-वन्यजीव संघर्ष एवं जंगलों में आग की घटनाओं में कमी आएगी और अवैध कटान व कब्ज़ों पर नियन्त्रण होगा वहीं भू-स्खलन रुकेगा, जल का संरक्षण होगा और स्थाई आजीविका के वैकल्पिक अवसर पैदा होंगे।
पठानिया ने परियोजना द्वारा तैयार की गई तीन पुस्तिकाओं ‘सामुदायिक विकास प्रशिक्षक नियमावली’, ‘लिंग कार्ययोजना’ और ‘फ़ील्ड कार्यकर्ताओं के लिए सूक्ष्म नियोजन दिशा निर्देश’ का विमोचन भी किया।

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