हार कहाँ हमने मानी है

गार्गी आर्या

हार कहाँ हमने मानी है,
बस यही तो मनमानी है।
जीवन के सभी पलों को
जीते हम जा रहे है,
मुश्किल भरी राहों में भी
मंज़िल को पा रहें है,
ख़ुश रहने की यही निशानी है,
हार कहाँ हमने मानी है।

जब कुछ करेंगे
तो ज़रूर पाएंगे,
जीत के गुणगान
सदैव ही गाएंगे,
बितानी इसी में ज़िन्दगानी है,
हार कहाँ हमने मानी है।

अपनों के साथ में
हाथों को लेकर हाथ में,
जीवन की डगर में
अपने इस सफ़र में,
सुनानी यही कहानी है,
हार कहाँ हमने मानी है।

बुलन्द इरादों में अपने
देखे थे जो सपने,
उनको अब मज़बूत बनाकर
ऊँची-सी उड़ान भराकर,
कामयाबी तो दिलानी है,
हार कहाँ हमने मानी है।

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