फार्मा कम्पनियों की ओर से डॉक्टरों को दिए जाने वाले उपहार से दवाओं की कीमत बढ़ती है जिससे एक ख़तरनाक सार्वजनिक कुचक्र बन जाता है। यह टिप्पणी मंगलवार को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने की।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि दवा-निर्माण करने वाली फार्मा कम्पनियों की ओर से डॉक्टरों को दिए जाने वाले उपहार मुफ़्त नहीं होते हैं। न्यायालय ने कहा कि इनका प्रभाव दवा की बढ़ी हुई कीमत के रूप में सामने आता है जिससे एक ख़तरनाक सार्वजनिक कुचक्र बन जाता है। इन टिप्पणियों के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने फार्मा कम्पनियों के मुफ़्त उपहार देने के ख़र्च को आयकर छूट में जोड़ने सम्बन्धी आग्रह को ख़ारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि मैडिकल प्रैक्टिश्नर को उपहार देना क़ानूनन मना है।